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"ये क्या जगह है दोस्तों / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है <br>
 
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है <br>
 
हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है <br><br>
 
हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है <br><br>

20:30, 25 मई 2009 के समय का अवतरण

ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है

ये किस मुकाम पर हयात मुझ को लेके आ गई
न बस ख़ुशी पे है जहाँ न ग़म पे इख़्तियार है

तमाम उम्र का हिसाब माँगती है ज़िन्दगी
ये मेरा दिल कहे तो क्या ये ख़ुद से शर्मसार है

बुला रहा क्या कोई चिलमनों के उस तरफ़
मेरे लिये भी क्या कोई उदास बेक़रार है

न जिस की शक्ल है कोई न जिस का नाम है कोई
इक ऐसी शै का क्यों हमें अज़ल से इंतज़ार है


टिप्पणी:
इस गज़ल को शहरयार ने फ़िल्म "उमराव जान" के लिये लिखा था। फ़िल्म में नायिका उमराव जान एक शायरा भी हैं और उनका तख़ल्लुस "अदा" है।