भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वसंत / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | रचनाकार | + | {{KKRachna |
− | + | |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत | |
− | + | |संग्रह= | |
− | + | }} | |
− | + | ||
− | + | ||
चंचल पग दीपशिखा के धर <br> | चंचल पग दीपशिखा के धर <br> | ||
गृह, मग़, वन में आया वसंत <br> | गृह, मग़, वन में आया वसंत <br> |
20:39, 25 मई 2009 का अवतरण
चंचल पग दीपशिखा के धर
गृह, मग़, वन में आया वसंत
सुलगा फागुन का सूनापन
सौन्दर्य शिखाओं में अनंत
सौरभ की शीतल ज्वाला से
फैला उर उर में मधुर दाह
आया वसंत, भर पृथ्वी पर
स्वर्गिक सुंदरता का प्रवाह
पल्लव पल्लव में नवल रूधिर
पत्रों में मांसल रंग खिला
आया नीली पीली लौ से
पुष्पों के चित्रित दीप जला
अधरों की लाली से चुपके
कोमल गुलाब से गाल लजा
आया पंखड़ियों को काले-
पीले धब्बों से सहज सजा
कलि के पलकों में मिलन स्वप्न
अलि के अंतर में प्रणय गान
लेकर आया प्रेमी वसंत
आकुल जड़-चेतन स्नेह प्राण