"अँगना में रौरा मचाइल चिरैयाँ सत / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर
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− | अँगना में रौरा मचाइल चिरैयाँ सत | + | अँगना में रौरा मचाइल चिरैयाँ सत-बहिनी ! |
− | -बहिनी ! | + | बिरछन पे चिक-चिक, किरैयन में किच-किच,चोंचें नचाइ पियरी पियरी ! |
− | बिरछन पे चिक | + | |
− | -चिक ,किरैयन में किच-किच,चोंचें नचाइ पियरी पियरी ! | + | |
चिरैयाँ सत-बहिनी ! | चिरैयाँ सत-बहिनी ! | ||
− | एकहि गाँव बियाहिल सातो बहिनी,मइके अकेल छोट भइया , | + | |
− | 'बिटियन की सुध लै आवहु रे बिटवा ' कहि के पठाय दिहिल मइया ! | + | एकहि गाँव बियाहिल सातो बहिनी,मइके अकेल छोट भइया, |
− | 'माई पठाइल रे भइया , मगन भइ गइलीं चिरैंयाँ सत-बहिनी !' | + | 'बिटियन की सुध लै आवहु रे बिटवा' कहि के पठाय दिहिल मइया ! |
− | सात बहिन घर आइत | + | 'माई पठाइल रे भइया, मगन भइ गइलीं चिरैंयाँ सत-बहिनी !' |
− | -जाइत ,मुख सुखला ,थक भइला , | + | |
+ | सात बहिन घर आइत-जाइत, मुख सुखला, थक भइला, | ||
साँझ परिल तो माँगि बिदा भइया आपुन घर गइला! | साँझ परिल तो माँगि बिदा भइया आपुन घर गइला! | ||
− | अगिल भोर पनघट पर हँसि | + | अगिल भोर पनघट पर हँसि-हँसि बतियइली सत-बहिनी ! |
− | -हँसि बतियइली | + | |
− | हमका दिहिन भैया सतरँग लहंगा | + | हमका दिहिन भैया सतरँग लहंगा, हम पाये पियरी चुनरिया, |
− | ,हम पाये पियरी चुनरिया , | + | सेंदुर-बिछिया हमका मिलिगा, हम बाँहन भर चुरियाँ ! |
− | सेंदुर | + | भोजन पानी कौने कीन्हेल अब बूझैं सत-बहिनी ! |
− | -बिछिया हमका मिलिगा ,हम बाँहन भर चुरियाँ ! | + | |
− | भोजन पानी कौने कीन्हेल अब बूझैं | + | |
− | का पकवान खिलावा री जिजिया ? | + | का पकवान खिलावा री जिजिया? मीठ दही तू दिहली ? |
− | मीठ दही तू दिहली ? | + | |
री छोटी तू चिवरा बतासा चलती बार न किहली ? | री छोटी तू चिवरा बतासा चलती बार न किहली ? | ||
− | तू | + | तू-तू करि-करि सबै रिसावैं गरियावैं सत-बहिनी ! |
− | -तू करि-करि सबै रिसावैं गरियावैं | + | |
− | भूखा | + | भूखा-पियासा गयेल मोर भइया , कोउ न रसोई जिमउली , |
− | -पियासा गयेल मोर भइया , कोउ न रसोई जिमउली , | + | दधि-रोचन का सगुन न कीन्हेल कहि -कहि सातों रोइली , |
− | दधि | + | उदबेगिल सब दोष लगावैं रोइ-रोइ सत-बहिनी ! |
− | -रोचन का सगुन न कीन्हेल कहि -कहि सातों रोइली , | + | |
− | उदबेगिल सब दोष लगावैं रोइ | + | |
− | -रोइ | + | |
− | 'तुम ना खबाएल जेठी ?', 'तू का किहिल कनइठी?' इक दूसर सों कहलीं | + | 'तुम ना खबाएल जेठी?', 'तू का किहिल कनइठी?' इक दूसर सों कहलीं |
− | एकल हमार भइया | + | एकल हमार भइया, कोऊ तओ न पुछली सब पछताइतत रहिलीं ! |
− | , कोऊ तओ न पुछली सब पछताइतत रहिलीं ! | + | साँझ सकारे नित चिचिहाव मचावें गुरगुचियाँ सत-बहिनी! |
− | साँझ सकारे नित चिचिहाव मचावें गुरगुचियाँ | + | </poem> |
16:23, 30 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
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अँगना में रौरा मचाइल चिरैयाँ सत-बहिनी !
बिरछन पे चिक-चिक, किरैयन में किच-किच,चोंचें नचाइ पियरी पियरी !
चिरैयाँ सत-बहिनी !
एकहि गाँव बियाहिल सातो बहिनी,मइके अकेल छोट भइया,
'बिटियन की सुध लै आवहु रे बिटवा' कहि के पठाय दिहिल मइया !
'माई पठाइल रे भइया, मगन भइ गइलीं चिरैंयाँ सत-बहिनी !'
सात बहिन घर आइत-जाइत, मुख सुखला, थक भइला,
साँझ परिल तो माँगि बिदा भइया आपुन घर गइला!
अगिल भोर पनघट पर हँसि-हँसि बतियइली सत-बहिनी !
हमका दिहिन भैया सतरँग लहंगा, हम पाये पियरी चुनरिया,
सेंदुर-बिछिया हमका मिलिगा, हम बाँहन भर चुरियाँ !
भोजन पानी कौने कीन्हेल अब बूझैं सत-बहिनी !
का पकवान खिलावा री जिजिया? मीठ दही तू दिहली ?
री छोटी तू चिवरा बतासा चलती बार न किहली ?
तू-तू करि-करि सबै रिसावैं गरियावैं सत-बहिनी !
भूखा-पियासा गयेल मोर भइया , कोउ न रसोई जिमउली ,
दधि-रोचन का सगुन न कीन्हेल कहि -कहि सातों रोइली ,
उदबेगिल सब दोष लगावैं रोइ-रोइ सत-बहिनी !
'तुम ना खबाएल जेठी?', 'तू का किहिल कनइठी?' इक दूसर सों कहलीं
एकल हमार भइया, कोऊ तओ न पुछली सब पछताइतत रहिलीं !
साँझ सकारे नित चिचिहाव मचावें गुरगुचियाँ सत-बहिनी!