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"घंटी / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर

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मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
 
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:::और करवट बदल कर सो गया
 
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अलार्म की घंती बजी
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अलार्म की घंटी बजी
 
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
 
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:::और करवट बदल कर सो गया
 
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मौत की घंटी बजी...
 
मौत की घंटी बजी...
 
हड़बड़ा कर उठ बैठा-
 
हड़बड़ा कर उठ बैठा-
मैं हूँ- मैं हूँ- मैं हूँ
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मैं हूँ... मैं हूँ... मैं हूँ..
 
:::मौत ने कहा-
 
:::मौत ने कहा-
 
:::करवट बदल कर सो जाओ।
 
:::करवट बदल कर सो जाओ।
 
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15:37, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

 
फ़ोन की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया
दरवाज़े की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया
अलार्म की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया
एक दिन
मौत की घंटी बजी...
हड़बड़ा कर उठ बैठा-
मैं हूँ... मैं हूँ... मैं हूँ..
मौत ने कहा-
करवट बदल कर सो जाओ।