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"दूसरी तरफ़ उसकी उपस्थिति / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर
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वहाँ वह भी था | वहाँ वह भी था | ||
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जैसे किसी सच्चे और सुहृद | जैसे किसी सच्चे और सुहृद | ||
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शब्द की हिम्मतों में बँधी हुई | शब्द की हिम्मतों में बँधी हुई | ||
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जब भी परिचित संदर्भों से कट कर | जब भी परिचित संदर्भों से कट कर | ||
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वह अलग जा पड़ता तब वही नहीं | वह अलग जा पड़ता तब वही नहीं | ||
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वह सब भी सूना हो जाता | वह सब भी सूना हो जाता | ||
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जिनमें वह नहीं होता । | जिनमें वह नहीं होता । | ||
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उसकी अनुपस्थिति से | उसकी अनुपस्थिति से | ||
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कहीं कोई फ़र्क न पड़ता किसी भी माने में, | कहीं कोई फ़र्क न पड़ता किसी भी माने में, | ||
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लेकिन किसी तरफ़ उसकी उपस्थिति मात्र से | लेकिन किसी तरफ़ उसकी उपस्थिति मात्र से | ||
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एक संतुलन बन जाता उधर | एक संतुलन बन जाता उधर | ||
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जिधर पंक्तियाँ होती, चाहे वह नहीं । | जिधर पंक्तियाँ होती, चाहे वह नहीं । | ||
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02:06, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
वहाँ वह भी था
जैसे किसी सच्चे और सुहृद
शब्द की हिम्मतों में बँधी हुई
एक ठीक कोशिश.......
जब भी परिचित संदर्भों से कट कर
वह अलग जा पड़ता तब वही नहीं
वह सब भी सूना हो जाता
जिनमें वह नहीं होता ।
उसकी अनुपस्थिति से
कहीं कोई फ़र्क न पड़ता किसी भी माने में,
लेकिन किसी तरफ़ उसकी उपस्थिति मात्र से
एक संतुलन बन जाता उधर
जिधर पंक्तियाँ होती, चाहे वह नहीं ।