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"पृथ्वी के मोह-भंग का समय / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर

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'''रचनाकाल : 1991, नई दिल्ली
 
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20:17, 20 दिसम्बर 2009 का अवतरण

यहाँ
परिन्दों से छीना जा रहा है
आकाश

वनस्पतियों से
हरियाली छीनी जा रही है यहाँ

छीना जा रहा है नदियों से उनका प्रवाह

पानी के विद्रोह का समय समीप है
समीप है समय वनस्पतियों की बगावत का
पृथ्वी से मोहभंग का समय समीप है अब

रचनाकाल : 1991, नई दिल्ली