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"पृथ्वी के मोह-भंग का समय / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर
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01:28, 24 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
यहाँ
परिन्दों से छीना जा रहा है
आकाश
वनस्पतियों से
हरियाली छीनी जा रही है यहाँ
छीना जा रहा है नदियों से उनका प्रवाह
पानी के विद्रोह का समय समीप है
समीप है समय वनस्पतियों की बगावत का
पृथ्वी से मोहभंग का समय समीप है अब
रचनाकाल : 1991, नई दिल्ली