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15:54, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
वाजश्रवा के बहाने
रचनाकार | कुंवर नारायण |
---|---|
प्रकाशक | भारतीय ज्ञानपीठ, 18, इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई दिल्ली-110003 |
वर्ष | २००८ |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | सहज छंद मुक्त |
पृष्ठ | १५९ |
ISBN | ९७८-८१-२६३-१४५५-३ |
विविध |
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प्रथम खंड : नचिकेता की वापसी
- आह्वान / कुंवर नारायण
- कवयो मनीषा / कुंवर नारायण
- असंख्य नामों के ढेर में / कुंवर नारायण
- उसे याद आने लगे अपने कई-कई जीवन / कुंवर नारायण
- वह उदय हो रहा है पुनः / कुंवर नारायण
- उसे याद आया एक जीवन / कुंवर नारायण
- एक अन्य आरम्भ / कुंवर नारायण
- वे दो लगते हुए भी एक ही थे / कुंवर नारायण
- सुदूर अतीत में / कुंवर नारायण
- पिता से गले मिलते / कुंवर नारायण
द्वितीय खंड : वाजश्रवा के बहाने
- एक व्यामोह का अन्त / कुंवर नारायण
- उपरान्त जीवन / कुंवर नारायण
- अच्छा हुआ तुम लौट आए / कुंवर नारायण
- जब मैं व्यस्त था / कुंवर नारायण
- तुम्हें खोकर मैंने जाना / कुंवर नारायण
- पुन: एक की गिनती से / कुंवर नारायण
- अपने सोच को सोचता है एक 'मैं' / कुंवर नारायण
- अपना यह 'दूसरापन' / कुंवर नारायण
- तीन रातें / कुंवर नारायण
- यह अवसान नहीं / कुंवर नारायण
- शब्दों का परिसर / कुंवर नारायण