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"जब हम तुम मिले-2 / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

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जब हम-तुम मिले
 
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तो बातें बहुत थीं-- जो हमने नहीं कीं-- न करेंगे
 
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काम भी
 
काम भी
 
 
एक दूसरे को एक दूसरे से
 
एक दूसरे को एक दूसरे से
 
 
कई थे-- जो हमेशा ही रहते हैं--
 
कई थे-- जो हमेशा ही रहते हैं--
 
 
और जो हमेशा ही नहीं किए जाते।
 
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कामों और बातों के परे हम
 
कामों और बातों के परे हम
 
 
एक माध्यम में ढलकर रह गए थे--
 
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कि हमारे ज़रिए एक ख़ामोश संगीत
 
कि हमारे ज़रिए एक ख़ामोश संगीत
 
 
बजने लगा था-- और हम देखते न देखते
 
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आकाश के खुलेपन के माता-पिता थे
 
आकाश के खुलेपन के माता-पिता थे
 
  
 
उसके बाद
 
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हमारी गोदी में
 
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खेलता बच्चा ही सहारा था-- हमारे लिए
 
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एक-दूसरे के पास पहुँचने
 
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:::और एक-दूसरे को पाने का।
 
:::और एक-दूसरे को पाने का।
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12:14, 29 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

जब हम-तुम मिले
तो बातें बहुत थीं-- जो हमने नहीं कीं-- न करेंगे
काम भी
एक दूसरे को एक दूसरे से
कई थे-- जो हमेशा ही रहते हैं--
और जो हमेशा ही नहीं किए जाते।

कामों और बातों के परे हम
एक माध्यम में ढलकर रह गए थे--
कि हमारे ज़रिए एक ख़ामोश संगीत
बजने लगा था-- और हम देखते न देखते
आकाश के खुलेपन के माता-पिता थे

उसके बाद
हमारी गोदी में
खेलता बच्चा ही सहारा था-- हमारे लिए
एक-दूसरे के पास पहुँचने
और एक-दूसरे को पाने का।