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"अगर यूँ ही ये दिल सताता रहेगा / ख़्वाजा मीर दर्द" के अवतरणों में अंतर
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Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
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18:24, 22 दिसम्बर 2006 का अवतरण
रचनाकार: ख़्वाजा मीर दर्द
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अगर यों ही ये दिल सताता रहेगा
तो इक दिन मेरा जी ही जाता रहेगा
मैं जाता हूँ दिल को तेरे पास छोड़े
मेरी याद तुझको दिलाता रहेगा
गली से तेरी दिल को ले तो चला हूँ
मैं पहुँचूँगा जब तक ये आता रहेगा
क़फ़स में कोई तुम से ऐ हम-सफ़ीरों
ख़बर कल की हमको सुनाता रहेगा
ख़फ़ा हो कि ऐ "दर्द" मर तो चला तू
कहाँ तक ग़म अपना छुपाता रहेगा