भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरा ठिकाना क्या पूछो हो (कविता) / सुरेश सलिल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
छो ()
(कोई अंतर नहीं)

12:41, 2 जनवरी 2010 का अवतरण


मेरा ठिकाना क्या पूछो हो

आब-ओ-दाना क्या पूछो हो


ख़ाली पड़े हैं सारे कमरे

साहिब-ए-ख़ाना क्या पूछो हो


ख़ैर-ख़बर का खेल ज़ुबानी

मिलना-मिलाना क्या पूछो हो


क्या पूछो हो उनका आना

उनका जाना क्या पूछो हो


सलिल अभी तक जाग रहा है

नींद का आना क्या पूछो हो


---

आब-ओ-दाना=अन्न-जल; साहिब-ए-ख़ाना= घर का मालिक


(रचनाकाल : 1997-1998)