भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ज़ुल्फ़ें सीना नाफ़ कमर / जाँ निसार अख़्तर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जाँ निसार अख़्तर |संग्रह=जाँ निसार अख़्तर-एक जव…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:03, 13 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
ज़ुल्फ़ें सीना नाफ़ कमर
एक नदी में कितने भंवर
लाख तरह से नाम तेरा
बैठा लिक्खूँ कागज़ पर
रात के पीछे रात चले
ख़्वाब हुआ हर ख़्वाब-ए-सहर
कितना मुश्किल कितना कठिन
जीने से जीने का हुनर