भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आँखों वाले धोका खाने वाले हैं / गोविन्द गुलशन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोविन्द गुलशन |संग्रह= }} <Poem> आँखों वाले धोका खाने...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatGhazal}} | ||
<Poem> | <Poem> | ||
आँखों वाले धोका खाने वाले हैं | आँखों वाले धोका खाने वाले हैं |
21:25, 6 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
आँखों वाले धोका खाने वाले हैं
बेपर्दा वो सामने आने वाले हैं
यादों का मौसम बरसाती होता है
पानी लेकर बादल आने वाले हैं
मैं अपनी परछाईं से डर जाता हूँ
अपने हैं, जो लोग डराने वाले हैं
बदला है वो और न बदलेगा शायद
उसके वो ही हाल पुराने वाले हैं
दरिया देख रहा है कितनी हसरत से
लेकिन हम कब प्यास बुझाने वाले हैं
जादूगर आँखों से जादू करता है
सबके सब पत्थर हो जाने वाले हैं
हम तो अपने मन के राजा हैं 'गुलशन'
हम किसकी बातों में आने वाले हैं