"तू दोस्त किसी का भी सितमगर न हुआ था / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
[[Category:ग़ज़ल]] | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
+ | <poem>तू दोस्त किसी का भी सितमगर न हुआ था | ||
+ | औरों पे है वो ज़ुल्म कि मुझ पर न हुआ था | ||
− | + | छोड़ा मह-ए-नख़शब<ref>नकली चाँद</ref> की तरह दस्त-ए-क़ज़ा<ref>मौत का हाथ</ref> ने | |
− | + | ख़ुर्शीद<ref>सूरज</ref> हनोज़ उस के बराबर न हुआ था | |
− | + | तौफ़ीक़<ref>शक्ति</ref> बअन्दाज़ा-ए-हिम्मत<ref>साहस के मुताबिक</ref> है अज़ल से | |
− | + | आँखों में है वो क़तरा कि गौहर न हुआ था | |
− | + | जब तक की न देखा था क़द-ए-यार का आलम | |
− | + | मैं मोअ़तक़िद-ए-फ़ित्ना-ए-महशर<ref>कयामत को उपदर्वी मानने वाला</ref> न हुआ था | |
− | + | मैं सादा-दिल, आज़ुर्दगी-ए-यार<ref>यार की उदासी</ref> से ख़ुश हूँ | |
− | + | यानी सबक़-ए-शौक़<ref>प्रेम का पाठ</ref> मुकर्रर न हुआ था | |
− | + | दरिया-ए-मआ़सी<ref>पाप का दरिया</ref> तंग-आबी<ref>पानी की कमी</ref> से हुआ ख़ुश्क | |
− | + | मेरा सर-ए-दामन<ref>दामन का सिरा</ref> भी अभी तर न हुआ था | |
− | + | जारी थी असद दाग़-ए-जिगर से मेरे तहसील<ref>प्राप्ति</ref> | |
− | + | आतिशकदा जागीर-ए-समन्दर न हुआ था | |
− | + | </poem> | |
− | जारी थी असद दाग़-ए-जिगर से मेरे तहसील< | + | {{KKMeaning}} |
− | + |
09:15, 28 फ़रवरी 2010 का अवतरण
तू दोस्त किसी का भी सितमगर न हुआ था
औरों पे है वो ज़ुल्म कि मुझ पर न हुआ था
छोड़ा मह-ए-नख़शब<ref>नकली चाँद</ref> की तरह दस्त-ए-क़ज़ा<ref>मौत का हाथ</ref> ने
ख़ुर्शीद<ref>सूरज</ref> हनोज़ उस के बराबर न हुआ था
तौफ़ीक़<ref>शक्ति</ref> बअन्दाज़ा-ए-हिम्मत<ref>साहस के मुताबिक</ref> है अज़ल से
आँखों में है वो क़तरा कि गौहर न हुआ था
जब तक की न देखा था क़द-ए-यार का आलम
मैं मोअ़तक़िद-ए-फ़ित्ना-ए-महशर<ref>कयामत को उपदर्वी मानने वाला</ref> न हुआ था
मैं सादा-दिल, आज़ुर्दगी-ए-यार<ref>यार की उदासी</ref> से ख़ुश हूँ
यानी सबक़-ए-शौक़<ref>प्रेम का पाठ</ref> मुकर्रर न हुआ था
दरिया-ए-मआ़सी<ref>पाप का दरिया</ref> तंग-आबी<ref>पानी की कमी</ref> से हुआ ख़ुश्क
मेरा सर-ए-दामन<ref>दामन का सिरा</ref> भी अभी तर न हुआ था
जारी थी असद दाग़-ए-जिगर से मेरे तहसील<ref>प्राप्ति</ref>
आतिशकदा जागीर-ए-समन्दर न हुआ था