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"सील सनी सुरुचि सु बात चलै पूरब की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर
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सील सनी सुरुचि सु बात चलै पूरब की, | सील सनी सुरुचि सु बात चलै पूरब की, | ||
− | औरे ओप उमगी दृगनि मिदुराने तैं । | + | ::औरे ओप उमगी दृगनि मिदुराने तैं । |
कहै रतनाकर अचानक चमक उठी, | कहै रतनाकर अचानक चमक उठी, | ||
− | उर घनश्याम कैं अधीर अकुलाने तैं ॥ | + | ::उर घनश्याम कैं अधीर अकुलाने तैं ॥ |
आसाछन्न दुरदिन दीस्यौ सुरपुर माँहिं, | आसाछन्न दुरदिन दीस्यौ सुरपुर माँहिं, | ||
− | ब्रज में सुदिन बरि बूँद हरियाने तैं, | + | ::ब्रज में सुदिन बरि बूँद हरियाने तैं, |
नीर कौ प्रवाह कान्ह नैननि कैं तीर बह्यै, | नीर कौ प्रवाह कान्ह नैननि कैं तीर बह्यै, | ||
− | धीर बह्यै ऊधौ उर अचल रसाने तैं ॥12॥ | + | ::धीर बह्यै ऊधौ उर अचल रसाने तैं ॥12॥ |
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09:34, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
सील सनी सुरुचि सु बात चलै पूरब की,
औरे ओप उमगी दृगनि मिदुराने तैं ।
कहै रतनाकर अचानक चमक उठी,
उर घनश्याम कैं अधीर अकुलाने तैं ॥
आसाछन्न दुरदिन दीस्यौ सुरपुर माँहिं,
ब्रज में सुदिन बरि बूँद हरियाने तैं,
नीर कौ प्रवाह कान्ह नैननि कैं तीर बह्यै,
धीर बह्यै ऊधौ उर अचल रसाने तैं ॥12॥