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"मोर के पखौवनि को मुकुट छबीलौ छोरि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर

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मोर के पखौवनि को मुकुट छबीलौ छोरि,
 
मोर के पखौवनि को मुकुट छबीलौ छोरि,
क्रीट मनि-मंडित घराइ करिहैं कहा ।
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::क्रीट मनि-मंडित घराइ करिहैं कहा ।
 
कहै रतनाकर त्यौं माखन सनेही बिनु,
 
कहै रतनाकर त्यौं माखन सनेही बिनु,
षट रस व्यंजन चबाइ करिहैं कहा ॥
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::षट रस व्यंजन चबाइ करिहैं कहा ॥
 
गोपी ग्वाल बालनि कौं झोंकि बिरहानल मैं,
 
गोपी ग्वाल बालनि कौं झोंकि बिरहानल मैं,
हरि सुर बृंद की बलाइ करिहैं कहा ।
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::हरि सुर बृंद की बलाइ करिहैं कहा ।
 
प्यारौ नाम गोबिंद गुपाल कौ बिहाइ हाय,
 
प्यारौ नाम गोबिंद गुपाल कौ बिहाइ हाय,
ठाकुर त्रिलोक के कहाइ करिहैं कहा ॥9॥  
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::ठाकुर त्रिलोक के कहाइ करिहैं कहा ॥9॥  
 
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09:36, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण

मोर के पखौवनि को मुकुट छबीलौ छोरि,
क्रीट मनि-मंडित घराइ करिहैं कहा ।
कहै रतनाकर त्यौं माखन सनेही बिनु,
षट रस व्यंजन चबाइ करिहैं कहा ॥
गोपी ग्वाल बालनि कौं झोंकि बिरहानल मैं,
हरि सुर बृंद की बलाइ करिहैं कहा ।
प्यारौ नाम गोबिंद गुपाल कौ बिहाइ हाय,
ठाकुर त्रिलोक के कहाइ करिहैं कहा ॥9॥