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"नंद और जसोमति के प्रेम पगे पालन की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर

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नंद और जसोमति के प्रेम पगे पालन की,
 
नंद और जसोमति के प्रेम पगे पालन की,
लाड़-भरे लालन की लालच लगावती ।
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::लाड़-भरे लालन की लालच लगावती ।
 
कहै रतनाकर सुधाकर-प्रभा सौं मढ़ी,
 
कहै रतनाकर सुधाकर-प्रभा सौं मढ़ी,
मंजु मृगुनैनि के गुन-गन गावती ॥
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::मंजु मृगुनैनि के गुन-गन गावती ॥
 
जमुना कछारनि की रंग रस-रारनि की,
 
जमुना कछारनि की रंग रस-रारनि की,
बिपिन-बिहारनि की हौंस हुमसावती ।
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::बिपिन-बिहारनि की हौंस हुमसावती ।
 
सुधि ब्रज-बासिनि दिवैया सुख-रासिनी की,
 
सुधि ब्रज-बासिनि दिवैया सुख-रासिनी की,
ऊधौ नित हमकौं बुलावन कौं आवती ॥5॥
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::ऊधौ नित हमकौं बुलावन कौं आवती ॥5॥
 
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09:38, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण

नंद और जसोमति के प्रेम पगे पालन की,
लाड़-भरे लालन की लालच लगावती ।
कहै रतनाकर सुधाकर-प्रभा सौं मढ़ी,
मंजु मृगुनैनि के गुन-गन गावती ॥
जमुना कछारनि की रंग रस-रारनि की,
बिपिन-बिहारनि की हौंस हुमसावती ।
सुधि ब्रज-बासिनि दिवैया सुख-रासिनी की,
ऊधौ नित हमकौं बुलावन कौं आवती ॥5॥