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"देखि दूरि ही तैं दौरि पौरि लगि भेंटि ल्याइ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर

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देखि दूरि ही तैं दौरि पौरि लगि भेंटि ल्याइ,
 
देखि दूरि ही तैं दौरि पौरि लगि भेंटि ल्याइ,
आसन दै साँसनि समेटि सकुचानि तैं ।
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::आसन दै साँसनि समेटि सकुचानि तैं ।
 
कहै रतनाकर यौं गुनन गुबिंद लागे,
 
कहै रतनाकर यौं गुनन गुबिंद लागे,
जौलौं कछू भूले से भ्रमे से अकुलानि तैं ॥
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::जौलौं कछू भूले से भ्रमे से अकुलानि तैं ॥
 
कहा कहैं ऊधौ सौं कहैं हूँ तो कहाँ लौं कहैं,
 
कहा कहैं ऊधौ सौं कहैं हूँ तो कहाँ लौं कहैं,
कैसे कहैं कहैं पुनि कौन सी उठानि तैं ।
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::कैसे कहैं कहैं पुनि कौन सी उठानि तैं ।
 
तौलौं अधिकाई तै उमगि कंठ आइ भिंचि,
 
तौलौं अधिकाई तै उमगि कंठ आइ भिंचि,
नीर ह्वै बहन लागी बात अँखियानि तैं ॥3||
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::नीर ह्वै बहन लागी बात अँखियानि तैं ॥3||
 
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09:38, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण

देखि दूरि ही तैं दौरि पौरि लगि भेंटि ल्याइ,
आसन दै साँसनि समेटि सकुचानि तैं ।
कहै रतनाकर यौं गुनन गुबिंद लागे,
जौलौं कछू भूले से भ्रमे से अकुलानि तैं ॥
कहा कहैं ऊधौ सौं कहैं हूँ तो कहाँ लौं कहैं,
कैसे कहैं कहैं पुनि कौन सी उठानि तैं ।
तौलौं अधिकाई तै उमगि कंठ आइ भिंचि,
नीर ह्वै बहन लागी बात अँखियानि तैं ॥3||