भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ज़रा ठहरो / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव }} ज़रा ठहरो इस मकान की पहली बरसात य...)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव
+
|रचनाकार=नीलेश रघुवंशी
 +
|संग्रह=घर-निकासी / नीलेश रघुवंशी
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita‎}}
 +
<poem>
 
ज़रा ठहरो
 
ज़रा ठहरो
 
 
इस मकान की पहली बरसात  
 
इस मकान की पहली बरसात  
 
 
याद आ गई घर की ।
 
याद आ गई घर की ।
 
 
  
 
छोटे भाई-बहनों को न निकलने की  
 
छोटे भाई-बहनों को न निकलने की  
 
 
हिदायत देती हुई
 
हिदायत देती हुई
 
 
  
 
जल्दी-जल्दी बाहर से कपड़े
 
जल्दी-जल्दी बाहर से कपड़े
 
 
समेट रही होगी माँ ।
 
समेट रही होगी माँ ।
 
 
  
 
पिता चढ़ आए होंगे छत पर
 
पिता चढ़ आए होंगे छत पर
 
 
भाई निकल गया होगा
 
भाई निकल गया होगा
 
 
साइकिल पर बरसाती लेने ।
 
साइकिल पर बरसाती लेने ।
 
 
  
 
पानी ज़रा ठहरो छत को ठीक होने दो
 
पानी ज़रा ठहरो छत को ठीक होने दो
 
 
ले आने दो भाई को बरसाती ।
 
ले आने दो भाई को बरसाती ।
 +
</poem>

11:15, 3 मार्च 2010 के समय का अवतरण

ज़रा ठहरो
इस मकान की पहली बरसात
याद आ गई घर की ।

छोटे भाई-बहनों को न निकलने की
हिदायत देती हुई

जल्दी-जल्दी बाहर से कपड़े
समेट रही होगी माँ ।

पिता चढ़ आए होंगे छत पर
भाई निकल गया होगा
साइकिल पर बरसाती लेने ।

पानी ज़रा ठहरो छत को ठीक होने दो
ले आने दो भाई को बरसाती ।