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"ज़रा ठहरो / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर
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भाई निकल गया होगा | भाई निकल गया होगा | ||
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पानी ज़रा ठहरो छत को ठीक होने दो | पानी ज़रा ठहरो छत को ठीक होने दो | ||
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11:15, 3 मार्च 2010 के समय का अवतरण
ज़रा ठहरो
इस मकान की पहली बरसात
याद आ गई घर की ।
छोटे भाई-बहनों को न निकलने की
हिदायत देती हुई
जल्दी-जल्दी बाहर से कपड़े
समेट रही होगी माँ ।
पिता चढ़ आए होंगे छत पर
भाई निकल गया होगा
साइकिल पर बरसाती लेने ।
पानी ज़रा ठहरो छत को ठीक होने दो
ले आने दो भाई को बरसाती ।