"वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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− | वो शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल | + | वो शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल<ref>रात, दिन, महीने, साल</ref> कहाँ |
− | फ़ुर्सत-ए-कारोबार-ए-शौक़ किसे | + | फ़ुर्सत-ए-कारोबार-ए-शौक़ किसे |
− | + | जौक़-ए-नज़्ज़ारा-ए-जमाल<ref>सौंदर्य देखने की इच्छा</ref> कहाँ | |
− | दिल तो दिल वो दिमाग़ भी न रहा | + | दिल तो दिल वो दिमाग़ भी न रहा |
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− | थी वो इक शख्स के तसव्वुर से | + | थी वो इक शख्स के तसव्वुर से |
− | अब वो रानाई-ए-ख़याल | + | अब वो रानाई-ए-ख़याल<ref>सौंदर्य विचार</ref> कहाँ |
− | ऐसा | + | ऐसा आसां नहीं लहू रोना |
− | दिल में ताक़त जिगर में हाल | + | दिल में ताक़त जिगर में हाल<ref>मस्ती</ref> कहाँ |
− | हमसे छूटा क़िमारख़ाना-ए-इश्क़ < | + | हमसे छूटा क़िमारख़ाना-ए-इश्क़<ref>प्रेम का जुआखाना</ref> |
− | + | वां जो जावें, गिरह<ref>जेब</ref> में माल कहाँ | |
− | फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ | + | फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ |
− | मैं कहाँ और ये वबाल | + | मैं कहाँ और ये वबाल<ref>झंझट</ref> कहाँ |
− | + | मुज़्मंहिल<ref>शिथिल</ref> हो गये क़ुवा<ref>शक्ति, ताकत</ref> "ग़ालिब" | |
− | वो | + | वो अ़नासिर<ref>तत्व</ref> में एतदाल<ref>संतुलन</ref> कहाँ</poem> |
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22:33, 5 मार्च 2010 के समय का अवतरण
वो फ़िराक़<ref>वियोग</ref> और वो विसाल<ref>मिलन</ref> कहाँ
वो शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल<ref>रात, दिन, महीने, साल</ref> कहाँ
फ़ुर्सत-ए-कारोबार-ए-शौक़ किसे
जौक़-ए-नज़्ज़ारा-ए-जमाल<ref>सौंदर्य देखने की इच्छा</ref> कहाँ
दिल तो दिल वो दिमाग़ भी न रहा
शोर-ए-सौदा-ए-ख़त्त-ओ-ख़ाल<ref>रूप-रेखा का सामान</ref> कहाँ
थी वो इक शख्स के तसव्वुर से
अब वो रानाई-ए-ख़याल<ref>सौंदर्य विचार</ref> कहाँ
ऐसा आसां नहीं लहू रोना
दिल में ताक़त जिगर में हाल<ref>मस्ती</ref> कहाँ
हमसे छूटा क़िमारख़ाना-ए-इश्क़<ref>प्रेम का जुआखाना</ref>
वां जो जावें, गिरह<ref>जेब</ref> में माल कहाँ
फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल<ref>झंझट</ref> कहाँ
मुज़्मंहिल<ref>शिथिल</ref> हो गये क़ुवा<ref>शक्ति, ताकत</ref> "ग़ालिब"
वो अ़नासिर<ref>तत्व</ref> में एतदाल<ref>संतुलन</ref> कहाँ