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+ | जिंदगी है खेल उसको मुस्कुरा कर खेलिए | ||
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+ | जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे | ||
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+ | जिंदगी से बंधु मेरे प्यार करना सीखिए | ||
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+ | जिंदगी में प्यार का इज्हार्कारना सीखिए | ||
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+ | प्यार में तकरार कर जिंदा रहे तो क्या रहे | ||
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+ | जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे | ||
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+ | जिंदगी रब की नियामत है नहीं मिलती सदा | ||
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+ | जिंदगी एक मुस्कराहट है नहीं खिलती सदा | ||
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+ | आंसुओं से प्यार कर जिंदा रहे तो क्या रहे | ||
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+ | जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे | ||
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+ | V.P.SINGH RAJPUT |
20:05, 12 मार्च 2010 के समय का अवतरण
प्रिय Vijay Pratap Singh Rajput, कविता कोश पर आपका स्वागत है! कविता कोश हिन्दी काव्य को अंतरजाल पर स्थापित करने का एक स्वयंसेवी प्रयास है। इस कोश को आप कैसे प्रयोग कर सकते हैं और इसकी वृद्धि में आप किस तरह योगदान दे सकते हैं इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सूचनायें नीचे दी जा रही हैं। इन्हे कृपया ध्यानपूर्वक पढ़े। |
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जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
मन को अपने मार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
जिंदगी है खेल उसको मुस्कुरा कर खेलिए
जिंदगी है जेल उसको मुस्कुरा कर झेलिये
जिंदगी को भार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
जिंदगी से बंधु मेरे प्यार करना सीखिए
जिंदगी में प्यार का इज्हार्कारना सीखिए
प्यार में तकरार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
जिंदगी रब की नियामत है नहीं मिलती सदा
जिंदगी एक मुस्कराहट है नहीं खिलती सदा
आंसुओं से प्यार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
जिंदगी से हार कर जिंदा रहे तो क्या रहे
V.P.SINGH RAJPUT