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पुल / अवतार एनगिल

95 bytes added, 05:17, 27 अप्रैल 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल; तीन डग कविता / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>दूर
बहुत दूर
सुनाई दे रही
ख़ुश्बू की आहट
पास बहुत पास
भटकती है
गुलमोहरी कसक
दूरी और सामीप्य में
लहरा रहा है
एक क्षण।</poem>