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"कंठ को तैयार करना सीख जाते हैं / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर
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कंठ को तैयार करना सीख जाते हैं | कंठ को तैयार करना सीख जाते हैं | ||
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आज समझौतों के युग में सर्द अँगारे | आज समझौतों के युग में सर्द अँगारे | ||
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भेड़ियों से प्यार करना सीख जाते हैं | भेड़ियों से प्यार करना सीख जाते हैं | ||
− | जो कमल के फूल पाना | + | जो कमल के फूल पाना चाहते हैं -वे |
− | कीच को | + | कीच को स्वीकार करना सीख जाते हैं |
− | लोग जिन डंडों से अपने | + | लोग जिन डंडों से अपने सर बचाते हैं |
लोग उनसे वार करना सीख जाते हैं | लोग उनसे वार करना सीख जाते हैं | ||
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12:40, 11 जून 2010 के समय का अवतरण
कंठ को तैयार करना सीख जाते हैं
लोग जय-जयकार करना सीख जाते हैं
आज समझौतों के युग में सर्द अँगारे
बर्फ़-सा व्यवहार करना सीख जाते हैं
लोग अपने स्वार्थ, अपने लाभ की ख़ातिर
भेड़ियों से प्यार करना सीख जाते हैं
जो कमल के फूल पाना चाहते हैं -वे
कीच को स्वीकार करना सीख जाते हैं
लोग जिन डंडों से अपने सर बचाते हैं
लोग उनसे वार करना सीख जाते हैं