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Kavita Kosh से
देखो, जितने तुम्हारे पास तारे हैं
मेरे पास फूल हैं
मेरे इन फूलों की भाषा सुवास हैउन का कोलाहल सुगंधित हैवन्यमृग मेरे पास आते हैंदीर्घ साँस लेते हैंऔरखड़े रहते हैं
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