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"ऐसा लगता है, पता नहीं कैसा लगता है/ प्रेमशंकर रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर
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+ | छह का लगता है | ||
+ | ऐसा लगता है | ||
+ | पता नहीं कैसा लगता है | ||
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+ | ज्ञानी कहते हैं-- | ||
+ | जो जैसा, वो वैसा लगता है | ||
+ | --उसको कैसे जानें, जो ऐसा लगता है? | ||
+ | रोज़ डूबता दिन, जैसे का तैसा लगता है. |
12:48, 3 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
ऐसा लगता है, पता नहीं कैसा लगता है
सुख सूना-सूना सा लगता है
दुःख दूना-दूना सा लगता है
मन ऊना-ऊना सा लगता है
शाम पांच का वक़्त
छह का लगता है
ऐसा लगता है
पता नहीं कैसा लगता है
ज्ञानी कहते हैं--
जो जैसा, वो वैसा लगता है
--उसको कैसे जानें, जो ऐसा लगता है?
रोज़ डूबता दिन, जैसे का तैसा लगता है.