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"शब्दों से कभी-कभी काम नहीं चलता / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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शब्दों से कभी-कभी काम नहीं चलता
 
शब्दों से कभी-कभी काम नहीं चलता
  
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('ताप के ताये हुए दिन' नामक संग्रह से )
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''('ताप के ताये हुए दिन' नामक संग्रह से )''

15:39, 21 मई 2007 का अवतरण


शब्दों से कभी-कभी काम नहीं चलता


जीवन को देखा है

यहां कुछ और

वहां कुछ और

इसी तरह यहां-वहां

हरदम कुछ और

कोई एक ढंग सदा काम नहीं करता


तुम को भी चाहूं तो

छूकर तरंग

पकड़ रखूं संग

कितने दिन कहां-कहां

रख लूंगा रंग


अपना भी मनचाहा रूप नहीं बनता ।


('ताप के ताये हुए दिन' नामक संग्रह से )