भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इब्तिदा-ऐ-इश्क है रोता है क्या / मीर तक़ी 'मीर'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो |
Bohra.sankalp (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=मीर तक़ी 'मीर' | |रचनाकार=मीर तक़ी 'मीर' | ||
}} | }} | ||
− | + | <poem> | |
इब्तिदा-ऐ-इश्क है रोता है क्या | इब्तिदा-ऐ-इश्क है रोता है क्या | ||
− | |||
आगे आगे देखिये होता है क्या | आगे आगे देखिये होता है क्या | ||
− | |||
काफिले में सुबह के इक शोर है | काफिले में सुबह के इक शोर है | ||
− | |||
यानी गाफिल हम चले सोता है क्या | यानी गाफिल हम चले सोता है क्या | ||
− | |||
सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं | सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं | ||
− | |||
तुख्म-ऐ-ख्वाहिश दिल में तू बोता है क्या | तुख्म-ऐ-ख्वाहिश दिल में तू बोता है क्या | ||
− | |||
ये निशान-ऐ-इश्क हैं जाते नहीं | ये निशान-ऐ-इश्क हैं जाते नहीं | ||
− | |||
दाग छाती के अबस धोता है क्या | दाग छाती के अबस धोता है क्या | ||
− | |||
गैरत-ऐ-युसूफ है ये वक़्त-ऐ-अजीज़ | गैरत-ऐ-युसूफ है ये वक़्त-ऐ-अजीज़ | ||
− | |||
'मीर' इस को रायेगां खोता है क्या | 'मीर' इस को रायेगां खोता है क्या | ||
− | |||
''तुख्म= बीज'' | ''तुख्म= बीज'' | ||
+ | </poem> |
19:45, 13 सितम्बर 2010 का अवतरण
इब्तिदा-ऐ-इश्क है रोता है क्या
आगे आगे देखिये होता है क्या
काफिले में सुबह के इक शोर है
यानी गाफिल हम चले सोता है क्या
सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं
तुख्म-ऐ-ख्वाहिश दिल में तू बोता है क्या
ये निशान-ऐ-इश्क हैं जाते नहीं
दाग छाती के अबस धोता है क्या
गैरत-ऐ-युसूफ है ये वक़्त-ऐ-अजीज़
'मीर' इस को रायेगां खोता है क्या
तुख्म= बीज