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"तुम अगर बेकरार हो जाते / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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हम बहुत शर्मसार हो जाते।  
 
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तुम जो आते तो चान्द ही लमहात,  
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तुम जो आते तो चन्द
इश्क की यादगार हो जाते।  
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ही लम्हात,  
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इश्क़
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की यादगार हो जाते।  
  
एक अपना तुम्हे बनाना था,  
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एक अपना तुम्हें बनाना था,  
 
ग़ैर चाहे हज़ार हो जाते।  
 
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तुम जो मिलते इशारतन हमसे,  
 
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दोत भी बेशुमार हो जाते।  
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दोस्त
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भी बेशुमार हो जाते।  
  
 
आसरा तुम अगर हमें देते,  
 
आसरा तुम अगर हमें देते,  

07:37, 18 सितम्बर 2010 का अवतरण

तुम अगर बेकरार हो जाते।
हम बहुत शर्मसार हो जाते।

तुम जो आते तो चन्द
 ही लम्हात,
इश्क़
 की यादगार हो जाते।

एक अपना तुम्हें बनाना था,
ग़ैर चाहे हज़ार हो जाते।

तुम जो मिलते इशारतन हमसे,
दोस्त
 भी बेशुमार हो जाते।

आसरा तुम अगर हमें देते,
हम तलातुम में पार हो जाते।