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"तुम अगर बेकरार हो जाते / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर
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ग़ैर चाहे हज़ार हो जाते। | ग़ैर चाहे हज़ार हो जाते। | ||
तुम जो मिलते इशारतन हमसे, | तुम जो मिलते इशारतन हमसे, | ||
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आसरा तुम अगर हमें देते, | आसरा तुम अगर हमें देते, |
07:37, 18 सितम्बर 2010 का अवतरण
तुम अगर बेकरार हो जाते।
हम बहुत शर्मसार हो जाते।
तुम जो आते तो चन्द
ही लम्हात,
इश्क़
की यादगार हो जाते।
एक अपना तुम्हें बनाना था,
ग़ैर चाहे हज़ार हो जाते।
तुम जो मिलते इशारतन हमसे,
दोस्त
भी बेशुमार हो जाते।
आसरा तुम अगर हमें देते,
हम तलातुम में पार हो जाते।