भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बात तोहरा से बताईं त बताईं कइसे / मनोज भावुक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज भावुक }} Category:ग़ज़ल <poem> बात तोहरा से बताईं त ब…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:24, 29 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
KKGlobal}}
बात तोहरा से बताईं त बताईं कइसे
बात तोहरा से छिपाईं त छिपाईं कइसे
बात कागज ले रहित तब त अउर बात रहित
बात दिल पर से मिटाईं त मिटाईं कइसे
अब हिया में बा चढ़त जात निराशा के जहर
आस के फूल खिलाईं त खिलाईं कइसे
आग बाहर के ना ,भीतर के हऽ ई, ए भाई
एह से अपना के बचाईं त बचाईं कइसे
बात गजले में कहत बानी हिया के अपना
का करीं, मन के मनाईं त मनाईं कइसे