भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
आफ्नो हातको सिराने लागाएर
त्यसकै छेउमा निदाउन सकूँ म भनेर।
  ...................................................................'''[[मकान की ऊपरी मंज़िल पर / गुलज़ार|इस कविता का मूल हिन्दी पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ ।]]''' 
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
9,789
edits