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"किण बिध कथूं / प्रमोद कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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काळजै उपजी पीड़ कथूं कै | काळजै उपजी पीड़ कथूं कै | ||
हो ज्याऊं रूंखड़ौ कोई रोही रो | हो ज्याऊं रूंखड़ौ कोई रोही रो | ||
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फेरूं करै सुवाल | फेरूं करै सुवाल | ||
ओ काळ ! | ओ काळ ! | ||
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पसर जावै सरणाटौ | पसर जावै सरणाटौ | ||
काळजै रै बीचो-बीच | काळजै रै बीचो-बीच | ||
जठै सबद साहित रौ | जठै सबद साहित रौ | ||
− | पड़यौ है आंख्यां मीच ! | + | पड़यौ है आंख्यां मीच! |
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13:29, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
काळजै उपजी पीड़ कथूं कै
हो ज्याऊं रूंखड़ौ कोई रोही रो
उभौ रैवूं मौन !
पण -
हो नीं सकूं
के करूं काळजै उकळतै लोही रो ?
इणी खातर
सौधूं कोई जुगत
कै हो सकूं इण पीड़ स्यूं मुगत।
पण-
फेरूं करै सुवाल
ओ काळ !
"क्यूं भाया दीस्सै नीं
सुरसत रौ सूनौ भौन?"
अर
पसर जावै सरणाटौ
काळजै रै बीचो-बीच
जठै सबद साहित रौ
पड़यौ है आंख्यां मीच!