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"हथौड़े का गीत / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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मार हथौड़ा,  
 
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कर-कर चोट!
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लाल हुए काले लोहे को
 
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जैसा चाहे वैसा मोड़!
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:::मार हथौड़ा,  
 
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:::कर-कर चोट!
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:::थोड़े नहीं-- अनेकों गढ़ ले
 
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:::फ़ौलादी नरसिंह करोड़।
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मार हथौड़ा,  
 
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कर-कर चोट!
कर-कर चोट !
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लोहू और पसीने से ही
 
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बंधन की दीवारें तोड़।
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:::मार हथौड़ा,  
 
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:::कर-कर चोट!
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:::दुनिया की जाती ताकत हो,
 
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:::जल्दी छवि से नाता जोड़!
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19:42, 10 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

मार हथौड़ा,
कर-कर चोट!
लाल हुए काले लोहे को
जैसा चाहे वैसा मोड़!
मार हथौड़ा,
कर-कर चोट!
थोड़े नहीं-- अनेकों गढ़ ले
फ़ौलादी नरसिंह करोड़।

मार हथौड़ा,
कर-कर चोट!
लोहू और पसीने से ही
बंधन की दीवारें तोड़।
मार हथौड़ा,
कर-कर चोट!
दुनिया की जाती ताकत हो,
जल्दी छवि से नाता जोड़!