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"तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर
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तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो...। | तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो...। | ||
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तुम तो श्याम पीओ दूध के कुल्हड़, | तुम तो श्याम पीओ दूध के कुल्हड़, | ||
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मेरी तो पानी पै गुजर, पानी पै गुजर हो । | मेरी तो पानी पै गुजर, पानी पै गुजर हो । | ||
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तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो... । | तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो... । | ||
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आप तो श्याम रक्खो दो-दो लुगाइयाँ, | आप तो श्याम रक्खो दो-दो लुगाइयाँ, | ||
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मेरी तो आपी पै नज़र, आपी पै नज़र हो । | मेरी तो आपी पै नज़र, आपी पै नज़र हो । | ||
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तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो... । | तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो... । | ||
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(प्रेमचन्द के उपन्यास 'वरदान' से संग्रहीत) | (प्रेमचन्द के उपन्यास 'वरदान' से संग्रहीत) |
10:13, 18 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: प्रेमचंद
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तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो...।
तुम तो श्याम पीओ दूध के कुल्हड़,
मेरी तो पानी पै गुजर, पानी पै गुजर हो ।
तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो... ।
आप तो श्याम रक्खो दो-दो लुगाइयाँ,
मेरी तो आपी पै नज़र, आपी पै नज़र हो ।
तुम तो श्याम बड़े बेख़बर हो... ।
(प्रेमचन्द के उपन्यास 'वरदान' से संग्रहीत)