"गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 36 से 50/पृष्ठ 10" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…) |
|||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
{{KKPageNavigation | {{KKPageNavigation | ||
|पीछे=गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 36 से 50/पृष्ठ 9 | |पीछे=गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 36 से 50/पृष्ठ 9 | ||
− | |आगे=गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 36 से 50/पृष्ठ | + | |आगे=गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 36 से 50/पृष्ठ 11 |
|सारणी=गीतावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 14 | |सारणी=गीतावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 14 | ||
}} | }} |
17:19, 4 जून 2011 के समय का अवतरण
(45)
लोने लाल लषन, सलोने राम, लोनी सिय,
चारु चित्रकूट बैठे सुरतरु-तर हैं |
गोरे-साँवरे सरीर पीत नीलनीरज-से
प्रेम-रुप-सुखमाके मनसिज-सर हैं ||
लोने नख-सिख, निरुपम, निरखन जोग,
बड़े उर कन्धर बिसाल भुज बर हैं |
लोने लोने लोचन, जटनिके मुकुट लोने,
लोने बदननि जीते कोटि सुधाकर हैं ||
लोने लोने धनुष, बिसिष कर-कमलनि,
लोने मुनिपट, कटि लोने सरघर हैं |
प्रिया प्रिय बन्धुको दिखावत बिटप, बेलि,
मञ्जु कुञ्ज, सिलातल, दल, फूल, फर हैं ||
ऋषिनके आश्रम सराहैं, मृग-नाम कहैं,
लागी मधु, सरित झरत निरझर हैं |
नाचत बरहि नीके, गावत मधुप-पिक,
बोलत बिहङ्ग, नभ-जल-थल-चर हैं ||
प्रभुहि बिलोकि मुनिगन पुलके कहत
भूरिभाग भये सब नीच नारि-नर हैं |
तुलसी सो सुख-लाहु लूटत किरात-कोल
जाको सिसकत सुर बिधि-हरि-हर हैं ||