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11:53, 6 जुलाई 2007 के समय का अवतरण


इस सफ़र में

बहुत भरमे


धुंध छाई

शहर भर में


शाम लेटी है

सहर में


इक बयाबाँ

ऎ'न घर में


क्या कहें

छोटी बहर में !


(रचनाकाल : 2001)