भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वार्ता:कविता कोश मुखपृष्ठ" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Raviprabhat (चर्चा | योगदान) (एक आस लगाये बैठा हूँ |) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | jab nav jal main | + | jab nav jal main chhod di, |
toofan main hi mod di, | toofan main hi mod di, | ||
− | de di | + | de di chunauti sindhu ko |
phir dhar kya majhdhar kya.. | phir dhar kya majhdhar kya.. | ||
पंक्ति 20: | पंक्ति 20: | ||
उसे सुधारने बैठा हूँ | उसे सुधारने बैठा हूँ | ||
एक आस लगाये बैठा हूँ | | एक आस लगाये बैठा हूँ | | ||
+ | |||
+ | == Jindagi == | ||
+ | |||
+ | Safar me hum the, | ||
+ | Magar koi humrahai na tha. | ||
+ | jindagi jee rahe the, | ||
+ | Magar koi jeene ka maqsad na tha. | ||
+ | |||
+ | M Khan(mofeeque@gmail.com) |
10:57, 19 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण
jab nav jal main chhod di, toofan main hi mod di, de di chunauti sindhu ko phir dhar kya majhdhar kya..
plz tell me the name of the kavi n full kavita..
Abhinav e-mail roughsoul@gmail.com
एक आस लगाये बैठा हूँ |
दुःख से मिला घाब है पर मरहम लगाने बैठा हूँ अँधियारा आया तो काया हुआ एक रौशनी के इंतजार में बैठा हूँ अपनों ने ठगा तो क्या हुआ फिर भी हमराही बनकर बैठा हूँ एक गलती हुई तो क्या हुआ उसे सुधारने बैठा हूँ एक आस लगाये बैठा हूँ |
Jindagi
Safar me hum the, Magar koi humrahai na tha. jindagi jee rahe the, Magar koi jeene ka maqsad na tha.
M Khan(mofeeque@gmail.com)