भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अफ़साना ये हस्ती है / नीना कुमार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीना कुमार }} {{KKCatGhazal}} <poem> अफ़साना ये ह...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
तौफ़ीक-ए-नज़र<ref>नज़र की योग्यता</ref> पर हम को ऐतबार नहीं है | तौफ़ीक-ए-नज़र<ref>नज़र की योग्यता</ref> पर हम को ऐतबार नहीं है | ||
− | आँखों की बदौलत चर्ख़-ए- | + | आँखों की बदौलत चर्ख़-ए-माह-कौ-कब<ref>सितारों जड़ा आसमान</ref> तक जाते |
पर यहाँ हकीक़त आसानी से आशकार<ref>दिख सकने वाला</ref> नहीं है | पर यहाँ हकीक़त आसानी से आशकार<ref>दिख सकने वाला</ref> नहीं है | ||
15:24, 1 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण
अफ़साना ये हस्ती है चश्म<ref>आँख</ref> गुनाहगार नहीं है
हिजाबाँ<ref>ढकी हुई, नकाब पहने हुए</ref> क़ुदरत है और ये नज़र पुरकार<ref>योग्य</ref> नहीं है
ये माना हदे-पाँव से आगे निगाहों का जहाँ है
मगर सराबों<ref>मृगतृष्णा</ref> के समंदर हैं, ये खबरदार नहीं हैं
जब से जाना नीला आसमान नीला नहीं होता
तौफ़ीक-ए-नज़र<ref>नज़र की योग्यता</ref> पर हम को ऐतबार नहीं है
आँखों की बदौलत चर्ख़-ए-माह-कौ-कब<ref>सितारों जड़ा आसमान</ref> तक जाते
पर यहाँ हकीक़त आसानी से आशकार<ref>दिख सकने वाला</ref> नहीं है
ज़र्रों, रौशनी, हवाओं का एक खेल है दुनिया
'नीना' सिआह<ref>काली</ref> है कायनात, गर गुबार नहीं है
शब्दार्थ
<references/>