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"ऊधो!तहाँई चलि लै हमें / दास" के अवतरणों में अंतर
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उधो! तहाँई चलो लै हमें जहँ कुबरि कान्ह बसै एक ठोरी. | उधो! तहाँई चलो लै हमें जहँ कुबरि कान्ह बसै एक ठोरी. |
04:24, 16 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
उधो! तहाँई चलो लै हमें जहँ कुबरि कान्ह बसै एक ठोरी.
देखिय दास अघाय अघाय तिहारे प्रसाद मनोहर जोरी.
कूबरी सों कछु पाइए मंत्र,लगाइए कान्ह से प्रीति की डोरी.
कूबरिभक्ति बढ़ाइए बंदि, चढ़ाइए चंदन बंदन रोरी.