भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हैदराबाद धमाकों पर / सरदार अंजुम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Umesh Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = सरदार अंजुम |संग्रह= }} {{KKCatghazal}} <poem>...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | |||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | + | |रचनाकार=सरदार अंजुम | |
− | |रचनाकार = सरदार अंजुम | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatGhazal}} | |
− | {{ | + | |
− | + | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
1). | 1). | ||
अपाहिज बनके जीने की अदा अच्छी नहीं लगती | अपाहिज बनके जीने की अदा अच्छी नहीं लगती | ||
पंक्ति 24: | पंक्ति 16: | ||
हादसे जिनमे छिपी हो दुश्मनी, | हादसे जिनमे छिपी हो दुश्मनी, | ||
दोस्ती के नाम हों तो क्या करें | दोस्ती के नाम हों तो क्या करें | ||
+ | </poem> | ||
− | फरवरी 2013 में हैदराबाद धमाकों पर | + | फरवरी 2013 में हैदराबाद धमाकों पर |
− | + | ||
− | + |
19:13, 13 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
1).
अपाहिज बनके जीने की अदा अच्छी नहीं लगती
जो सूली तक न ले जाए सजा अच्छी नहीं लगती
2).
ये धमाके आम हों तो क्या करें
मौत का पैगाम हों तो क्या करें
मिल गयी थी जब हमें इनकी खबर,
कोशिशें नाकाम हों तो क्या करें
हादसे जिनमे छिपी हो दुश्मनी,
दोस्ती के नाम हों तो क्या करें
फरवरी 2013 में हैदराबाद धमाकों पर