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"अहिपन / राजकमल चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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अहिपनमे नहि लिखू फूल-पात लता चक्र
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हिपनमे नहि लिखू फूल पात-लता-चक्र
हे स्वप्न-सम्भवा कामिनि,
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हे स्वप्न-संभवा कामिनी,
आब नहि घोरू सिनूर आ उज्जर पिठार ?
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आब नहि घोरू सिनूर आ उज्जर पिठार!
 
जखन पूर्णिमेक साँझमे
 
जखन पूर्णिमेक साँझमे
चन्द्रमा भ’ गेल अछि पीयर आ वक्र
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चन्द्रमा भ’ गेल छथि पीयर आ बक्र
आब नहि फोलि क’ राखू
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आब नहि फोलिक’ राखू
अप्पन मोनक दुआर !
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अप्पन मोनक दुआर!
हे स्वप्न-सम्भवा कामिनी,
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आब एहि घर आँगनमे आनागतक प्रतीक्षा
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हे स्वप्न-संभवा कामिनी,
जुनि करू जुनि करू...
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आब एहि घर-आङनमे अनागतक प्रतीक्षा
अहिपनक फूल-पात-लता बनि जाएत
+
जुनि करू, जुनि करू...
गहुँमन साँप,
+
अहिपनक फूल-पात-लता बनि जायत
कोनो देवता नहि क’ सकताए अहाँक प्राण-रक्षा
+
गहुमन साप,
पाबनिक रति बीति जाएत पूजा-विहीन !
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कोनो देवता नहि क’ सकताह अहाँक प्राण-रक्षा
परिणय विहीनः
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पावनिक राति बीति जायत पूजा-विहीन
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परिणय-विहीन!
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''(मिथिला मिहिर: 5.12.65)''
 
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11:35, 5 अगस्त 2015 के समय का अवतरण

हिपनमे नहि लिखू फूल पात-लता-चक्र
हे स्वप्न-संभवा कामिनी,
आब नहि घोरू सिनूर आ उज्जर पिठार!
जखन पूर्णिमेक साँझमे
चन्द्रमा भ’ गेल छथि पीयर आ बक्र
आब नहि फोलिक’ राखू
अप्पन मोनक दुआर!

हे स्वप्न-संभवा कामिनी,
आब एहि घर-आङनमे अनागतक प्रतीक्षा
जुनि करू, जुनि करू...
अहिपनक फूल-पात-लता बनि जायत
गहुमन साप,
कोनो देवता नहि क’ सकताह अहाँक प्राण-रक्षा
पावनिक राति बीति जायत पूजा-विहीन
परिणय-विहीन!

(मिथिला मिहिर: 5.12.65)