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"बतूता का जूता / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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जब सब बोलते थे | जब सब बोलते थे | ||
− | वह चुप रहता था | + | वह चुप रहता था |
जब सब चलते थे | जब सब चलते थे | ||
− | वह पीछे हो जाता था | + | वह पीछे हो जाता था |
जब सब खाने पर टूटते थे | जब सब खाने पर टूटते थे | ||
− | वह अलग बैठा टूँगता रहता था | + | वह अलग बैठा टूँगता रहता था |
जब सब निढाल हो सो जाते थे | जब सब निढाल हो सो जाते थे | ||
वह शून्य में टकटकी लगाए रहता था | वह शून्य में टकटकी लगाए रहता था | ||
लेकिन जब गोली चली | लेकिन जब गोली चली | ||
तब सबसे पहले | तब सबसे पहले | ||
− | वही मारा | + | वही मारा गया |
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इब्नबतूता पहन के जूता | इब्नबतूता पहन के जूता | ||
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थोड़ी हवा नाक में घुस गई | थोड़ी हवा नाक में घुस गई | ||
घुस गई थोड़ी कान में | घुस गई थोड़ी कान में | ||
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कभी नाक को, कभी कान को | कभी नाक को, कभी कान को | ||
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इसी बीच में निकल पड़ा | इसी बीच में निकल पड़ा | ||
उनके पैरों का जूता | उनके पैरों का जूता | ||
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उड़ते उड़ते जूता उनका | उड़ते उड़ते जूता उनका | ||
जा पहुँचा जापान में | जा पहुँचा जापान में | ||
इब्नबतूता खड़े रह गये | इब्नबतूता खड़े रह गये | ||
− | मोची की दुकान | + | मोची की दुकान में |
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21:40, 8 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
जब सब बोलते थे
वह चुप रहता था
जब सब चलते थे
वह पीछे हो जाता था
जब सब खाने पर टूटते थे
वह अलग बैठा टूँगता रहता था
जब सब निढाल हो सो जाते थे
वह शून्य में टकटकी लगाए रहता था
लेकिन जब गोली चली
तब सबसे पहले
वही मारा गया
इब्नबतूता पहन के जूता
निकल पड़े तूफान में
थोड़ी हवा नाक में घुस गई
घुस गई थोड़ी कान में
कभी नाक को, कभी कान को
मलते इब्नबतूता
इसी बीच में निकल पड़ा
उनके पैरों का जूता
उड़ते उड़ते जूता उनका
जा पहुँचा जापान में
इब्नबतूता खड़े रह गये
मोची की दुकान में