"बेयालीस के साथी / रमाकांत द्विवेदी 'रमता'" के अवतरणों में अंतर
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साथी! ऊ दिन परल इआद, नयन भरि आइल ए साथी! | साथी! ऊ दिन परल इआद, नयन भरि आइल ए साथी! | ||
− | गरजे-तड़के-चमके-बरसे घटा भयावन कारी | + | |
− | आपन हाथ आपु ना सूझे, अइसन रात अन्हारी | + | गरजे-तड़के-चमके-बरसे घटा भयावन कारी, |
− | चारों ओर भइल | + | आपन हाथ आपु ना सूझे, अइसन रात अन्हारी, |
− | डेगे-डेग गोड़ बिछिलाइल, फनली कठिन कियारी | + | चारों ओर भइल पनजँजल, ऊ भादो-भदवारी, |
+ | डेगे-डेग गोड़ बिछिलाइल, फनली कठिन कियारी, | ||
केहि आसा बन-बन फिरलीं छिछियाइल ए साथी! | केहि आसा बन-बन फिरलीं छिछियाइल ए साथी! | ||
− | हाथे कड़ी, पाँव में बेड़ी, डाँड़े रसी बन्हाइल | + | |
− | बिना कसूर मूँज के अइसन लाठिन देह थुराइल | + | हाथे कड़ी, पाँव में बेड़ी, डाँड़े रसी बन्हाइल, |
− | सूपो-चालन कुरुक कराके जुरमाना असुलाइल | + | बिना कसूर मूँज के अइसन लाठिन देह थुराइल, |
− | बड़ा धरछने आइल, बाकी ऊ सुराज ना आइल | + | सूपो-चालन कुरुक कराके जुरमाना असुलाइल, |
+ | बड़ा धरछने आइल, बाकी ऊ सुराज ना आइल, | ||
जवना खातिर तेरहो करम पुराइल ए साथी! | जवना खातिर तेरहो करम पुराइल ए साथी! | ||
− | भूखे पेट बिसूरे लइका-समुझे ना समुझावे | + | |
− | गाँथि लुगरिया रनिया झुरवे, लाजो देखि लजावे | + | भूखे पेट बिसूरे लइका-समुझे ना समुझावे, |
− | बिनुकिवाँड़ घर कुकुर पइसे-ले छुछहँड़ ढिमिलावे | + | गाँथि लुगरिया रनिया झुरवे, लाजो देखि लजावे, |
− | रात-रात भर सोच फिकिर में आँखी नीन न आवे | + | बिनुकिवाँड़ घर कुकुर पइसे-ले छुछहँड़ ढिमिलावे, |
+ | रात-रात भर सोच फिकिर में आँखी नीन न आवे, | ||
ई दुख सहल न जाय-कि मन अबियाइल ए साथी! | ई दुख सहल न जाय-कि मन अबियाइल ए साथी! | ||
− | कूर-सँघाती राज हड़पले, भरि मुँह ना बतिआवसु | + | |
− | हमरे बल से कुरुसी तूरसु, हमके आँखि दुखवसु | + | कूर-सँघाती राज हड़पले, भरि मुँह ना बतिआवसु, |
− | दिन-दिन एने बढ़े मासिबत, ओने मउज उड़ावसु | + | हमरे बल से कुरुसी तूरसु, हमके आँखि दुखवसु, |
− | ‘पाथर बोझल नाव, भँवर में दइवे पार | + | दिन-दिन एने बढ़े मासिबत, ओने मउज उड़ावसु, |
− | सजगे इन्हिको | + | ‘पाथर बोझल नाव, भँवर में, दइवे पार लगावसु,‘ |
+ | सजगे इन्हिको अन्त काल नगिचाइल ए साथी! | ||
+ | |||
साथी ऊ परल इयाद, नयन भरि आइल ए साथी! | साथी ऊ परल इयाद, नयन भरि आइल ए साथी! | ||
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+ | '''रचनाकाल : 08.06.1953''' | ||
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17:47, 14 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
साथी! ऊ दिन परल इआद, नयन भरि आइल ए साथी!
गरजे-तड़के-चमके-बरसे घटा भयावन कारी,
आपन हाथ आपु ना सूझे, अइसन रात अन्हारी,
चारों ओर भइल पनजँजल, ऊ भादो-भदवारी,
डेगे-डेग गोड़ बिछिलाइल, फनली कठिन कियारी,
केहि आसा बन-बन फिरलीं छिछियाइल ए साथी!
हाथे कड़ी, पाँव में बेड़ी, डाँड़े रसी बन्हाइल,
बिना कसूर मूँज के अइसन लाठिन देह थुराइल,
सूपो-चालन कुरुक कराके जुरमाना असुलाइल,
बड़ा धरछने आइल, बाकी ऊ सुराज ना आइल,
जवना खातिर तेरहो करम पुराइल ए साथी!
भूखे पेट बिसूरे लइका-समुझे ना समुझावे,
गाँथि लुगरिया रनिया झुरवे, लाजो देखि लजावे,
बिनुकिवाँड़ घर कुकुर पइसे-ले छुछहँड़ ढिमिलावे,
रात-रात भर सोच फिकिर में आँखी नीन न आवे,
ई दुख सहल न जाय-कि मन अबियाइल ए साथी!
कूर-सँघाती राज हड़पले, भरि मुँह ना बतिआवसु,
हमरे बल से कुरुसी तूरसु, हमके आँखि दुखवसु,
दिन-दिन एने बढ़े मासिबत, ओने मउज उड़ावसु,
‘पाथर बोझल नाव, भँवर में, दइवे पार लगावसु,‘
सजगे इन्हिको अन्त काल नगिचाइल ए साथी!
साथी ऊ परल इयाद, नयन भरि आइल ए साथी!
रचनाकाल : 08.06.1953