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14:41, 21 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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- हिमाचली लोकगीत
रोई-रोई कहतिया बुढ़िया रमजनिया,
का कहीं ए बाबा आपन दुख के कहनियाँ।
जेठवा बेटउआ के कइनी सगाई,
अइसन बिआ मिलल दुलहिनिया भेटाइल,
खटिया पर पानी ध के माँगे ले भोजनिया। का कहीं...
कबो उहो घरवा में झाड़ू ना लगावे,
दिनभर भतरा के मुँहवे निहारे,
भतरे के किरिया खाले मोर दुलहिनिया। का कहीं...