भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जय लक्ष्मी माता / आरती" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }} ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता<br> तुम को निस दिन ...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{KKBhaktiKavya
+
{{KKGlobal}}
|रचनाकार=
+
{{KKDharmikRachna}}
}}
+
{{KKCatArti}}
 +
<poem> 
 +
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
 +
तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत
 +
हर विष्णु विधाता।
 +
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
  
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता<br>
+
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत<br>
+
ओ मैया तुम ही जग माता।
हर विष्णु विधाता ।<br>
+
सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>
+
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
  
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता<br>
+
दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता
ओ मैया तुम ही जग माता ।<br>
+
ओ मैया सुख सम्पति दाता।
सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता<br>
+
जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>
+
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
  
दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता<br>
+
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
ओ मैया सुख सम्पति दाता ।<br>
+
ओ मैया तुम ही शुभ दाता।
जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता<br>
+
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>
+
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
  
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता<br>
+
जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता
ओ मैया तुम ही शुभ दाता ।<br>
+
ओ मैया सब सद्गुण आता।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता<br>
+
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>
+
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
  
जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता <br>
+
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
ओ मैया सब सद्गुण आता ।<br>
+
ओ मैया वस्त्र न कोई पाता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता<br>
+
खान पान का वैभव, सब तुम से आता
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>
+
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
  
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता<br>
+
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
ओ मैया वस्त्र न कोई पाता ।<br>
+
ओ मैया क्षीरोदधि जाता।
खान पान का वैभव, सब तुम से आता<br>
+
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता  
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>
+
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
  
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता<br>
+
महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता
ओ मैया क्षीरोदधि जाता ।<br>
+
ओ मैया जो कोई जन गाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता <br>
+
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता  
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>
+
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
 
+
</poem>
महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता<br>
+
ओ मैया जो कोई जन गाता ।<br>
+
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता<br>
+
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>
+

21:54, 29 मई 2014 के समय का अवतरण

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

   
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत
हर विष्णु विधाता।
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
ओ मैया तुम ही जग माता।
सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता
ओ मैया सुख सम्पति दाता।
जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
ओ मैया तुम ही शुभ दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता
ओ मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
ओ मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुम से आता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
ओ मैया क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता
ओ मैया जो कोई जन गाता।
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥