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"जियो तो ऐसे जियो / अनिता ललित" के अवतरणों में अंतर
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कि आँखों में सबकी... बस सको... | कि आँखों में सबकी... बस सको... |
15:49, 5 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
चढ़ो... तो आसमाँ में चाँद की तरह...
कि आँखों में सबकी... बस सको...
ढलो... तो सागर में सूरज की तरह...
कि नज़र में सबकी टिक सको...!