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16:14, 11 जून 2015 के समय का अवतरण
मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कोठरिया जे लिपली ओसरा से अउरो देहरिया से।
ललना, तइओ<ref>तब भी</ref> न चुनरिया मइल<ref>मैल</ref> भेल, एक रे होरिलवा<ref>पुत्र</ref> बिनु॥1॥
नइहर में दस सै भइया अउरो भतीजा हवे हेऽ।
ललना, तइओ न नइहर सोहावन लगे, एक रे मइया बिनु॥2॥
ससुरा में दस सै ससुर अउरो देवरा हेऽ।
ललना, तइओ न ससुरा सोहावन लगे, एक रे पुरुखवा बिनु॥3॥
देहिया में दस सै सारी अउरो चोली हेऽ।
ललना, तइओ न देहिया सोहावन लगे एक रे होरिलवा बिनु॥4॥
शब्दार्थ
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