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"शम्बूक / असंग घोष" के अवतरणों में अंतर
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13:43, 4 जुलाई 2015 के समय का अवतरण
शम्बूक!
तुमने रामराज में 
तपस्या कर
सशरीर स्वर्ग जाना चाहा
तुम्हारी यही तपस्या
सही नहीं गयी
ब्राह्मणों, क्षत्रियों व
ख़ुद राजा राम तक,
सबने षड्यन्त्र रचा और
तुम्हारा सिर धड़ पर न रहा 
तुम मारे गये बेक़सूर
राजा राम के हाथों 
रामराज में तब से 
हत्यारा राजा राम
महिमामंडित हो
भगवान श्रीराम हो गया।
	
	