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"एक आशीर्वाद / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर

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जा तेरे स्वप्न बड़े हों।
  
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भावना की गोद से उतर कर
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जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।
  
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चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये
भावना की गोद से उतर कर<br>
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रूठना मचलना सीखें।
जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।<br>
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चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये<br>
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हर दीये की रोशनी देखकर ललचायें
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उँगली जलाएँ।
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अपने पाँव पर खड़े हों।
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जा तेरे स्वप्न बड़े हों।
जा तेरे स्वप्न बड़े हों।<br><br>
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07:43, 17 अगस्त 2016 के समय का अवतरण

जा तेरे स्वप्न बड़े हों।

भावना की गोद से उतर कर
जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।

चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये
रूठना मचलना सीखें।

हँसें
मुस्कुराएँ
गाएँ।

हर दीये की रोशनी देखकर ललचायें
उँगली जलाएँ।
अपने पाँव पर खड़े हों।
जा तेरे स्वप्न बड़े हों।