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"म्हारै रचाव रा पगलिया / संजय पुरोहित" के अवतरणों में अंतर
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चारूं मेर | चारूं मेर |
21:19, 28 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण
म्हारा रचाव रा पुहूप
घिर जावै
चारूं मेर
कांटा भरयोड़ै
मून सूं
आकळ-बाकळ आखर
करै है रूदाळी
मून पण
म्हैं उठाऊं
अरथां‘र विचारां री हंसूली
अर
बाढूं इण कांटा नै
अर सोधूं आणी हथैली
घाव तड़फीज्यौड़ा
केई सबदां री
सरक रैयी है सांस
म्हैं पुचकारूं करूं खेचळ
अर करूं सिणगार
सलीके सूं
क्यूं कै आखर हुय तो है
म्हारै सिरजण रो आंगणौ
अर उन आंगणे है म्हारै
रचाव रा पगलिया